4 हजार मेडिकल छात्रों पर 1 हजार शिक्षक कम, 2023 तक 6000 होंगी सीटें, बढ़ेगा फैकल्टी संकट

हाल में केंद्र सरकार ने राजस्थान के विभिन्न जिलों में पांच नए मेडिकल खोलने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। इसके पहले भी 10 नए कॉलेजों को स्वीकृति मिल चुकी है। राज्य में पहले से ही लगभग 14 मेडिकल कॉलेज हैं। सीकर में वर्ष 2020-21 में कॉलेज खुलने के बाद यह संख्या 15 हो जाएगी। सरकार का दावा है कि इसके साथ ही प्रदेश के 34 मेंं से 30 िजलों में से हरेक में अलग मेडिकल कॉलेज होगा। विशेषज्ञों के अनुसार एक नया सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने में लगभग तीन साल का समय लग जाता है।


इसका मतलब है कि 2023 तक एमबीबीएस में मौजूदा 4 हजार सीटों की संख्या बढ़कर 5900 हो जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो राजस्थान देश का पहला राज्य होगा जहां हर जिले में मेडिकल कॉलेज होगा। सरकार की घोषणाओं और लगातार कॉलेजों के खुलने की प्रक्रिया में शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या है जिसका सामना भविष्य में छात्रों को करना पड़ेगा। वर्तमान में ही 4,000 छात्रों को पढ़ाने के लिए करीब एक हजार शिक्षकों की कमी चल रही है। नए कॉलेजों और सीटों के बढ़ने पर यह संकट और गहरा जाएगा।


पहले से ही बुरे हैं मेडिकल शिक्षा के हाल


मेडिकल शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि पहले से संचालित मेडिकल कॉलेजों में ही फैकल्टी की भारी कमी है। इनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं। ऐसे में कॉलेजों में पढ़ाने के लिए फैकल्टी की व्यवस्था कहां से होगी, यह एक बड़ा सवाल है। 


साल 2019 से 2023 तक सीटों की संख्या



  • वर्तमान में 14 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों की संख्या 3900 है।

  • सत्र 2020-21 में सीकर में 100 सीटों पर प्रवेश मिलने पर यह संख्या 4 हजार हो जाएगी।

  • सेशन 2022-23 में 19 जिला मुख्यालयों में कॉलेज शुरू होने पर 5900 सीटों पर प्रवेश मिलेगा।


जल्द भर्ती होगी


चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेश में 737 चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में जिस फैकल्टी की कमी है उसके लिए आरपीएससी से वार्ता जारी है। जल्द भर्ती होगी।